Tuesday, August 26, 2025

🌸✨ गणेश चतुर्थी 2025: सम्पूर्ण जानकारी एवं पूजन विधि ✨🌸

August 26, 2025 0 Comments

 


🌸✨ गणेश चतुर्थी 2025: सम्पूर्ण जानकारी एवं पूजन विधि ✨🌸

गणेश चतुर्थी का महत्व

  • गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख उत्सव है। यह पर्व भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
  • भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए इसे विनायक चतुर्थी भी कहते हैं।
  • भगवान गणेश को “विघ्नहर्ता” और “सिद्धिदाता” कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से पूजा करने पर जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।


गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

  • पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने स्नान के समय अपने शरीर के उबटन से एक बालक की रचना की और उसे द्वार पर पहरेदार बना दिया।
  • जब भगवान शिव घर लौटे तो गणेशजी ने उन्हें अंदर जाने से रोका।
  • इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया।
  • माता पार्वती के शोक को शांत करने के लिए भगवान शिव ने हाथी का सिर लगाकर गणेशजी को पुनर्जीवित किया।
  • तभी से वे “गजानन” कहलाए और समस्त देवताओं में प्रथम पूज्य बने।

भारत और विदेशों में गणेश चतुर्थी

  • भारत में यह पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
  • महाराष्ट्र में इसे सार्वजनिक उत्सव के रूप में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने स्वतंत्रता संग्राम के समय से लोकप्रिय बनाया ।
  • भारत के अलावा, नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस, फिजी, थाईलैंड, बाली, कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में भी भारतीय समुदाय बड़े उत्साह से गणेश चतुर्थी मनाता है।


गणेश चतुर्थी की प्रमुख मान्यताएँ

  1. गणपति की पूजा से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।

  2. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश के स्मरण से करनी चाहिए।

  3. गणपति स्थापना से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

  4. विसर्जन का अर्थ है—अहंकार और नकारात्मकता का त्याग करना


गणेश स्थापना और पूजन विधि

  1. गणेश प्रतिमा स्थापना – चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त में प्रतिमा को लाल कपड़े पर स्थापित करें।

  2. संकल्प – हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर संकल्प लें।

  3. आवाहन और पूजन – धूप, दीप, नैवेद्य, मोदक और पंचामृत से पूजन करें।

  4. आरती और मंत्र – गणेशजी की आरती करें और “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जप करें।

  5. प्रसाद – मोदक और लड्डू गणपति का प्रिय भोग है।

  6. विसर्जन – दस दिन बाद अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।


गणेश चतुर्थी पर विशेष भोग

  1. मोदक (गणपति का प्रियतम)

  2. लड्डू

  3. नारियल

  4. दूर्वा घास

  5. लाल फूल